तुझ से मुँह मोड़ के मुँह अपना दिखयेंगे कहां,
----- ऐ वतन मेरे वतन ----
हड़्ड़ियां अपने बुज़ुर्गों की तेरी ख़ाक में हैं,
तुझ से मुँह मोड़ के मुँह अपना दिखयेंगे कहां,
घर जो छोड़ेंगे तो फिर छांव निछायेंगे कहां,
बज़्म-ए-अग़यार में आराम ये पायेंगे कहां,
तुझ से हम रूठ के जायेंगे तो जायेंगे कहां,
╰☆╮|| वंदे मातरम || || जय हिंद || ╰☆╮
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