एक बढ़िया हंसाने वाला चुटकुला:निन्दिया लाल को देर से उठने की आदत थी :चुटकुला और चिंता, किस्सा और कहानी, ग़ज़ल और गीत


एक बढ़िया हंसाने वाला चुटकुला:निन्दिया लाल को देर से उठने की आदत थी :' चुटकुला और चिंता, किस्सा और कहानी, ग़ज़ल और गीत'

निन्दिया लाल को देर से उठने की आदत थी, इसलिये वह हमेशा ऑफिस देर से पहुंचता था।
उसका बोस इस बात से बहुत नाराज था, और एक दिन, उसने निन्दिया लाल को चेतावनी दे डाली कि, या तो समय पर आओ या नौकरी छोड़ दो।
हार कर निन्दिया लाल एक डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने उसे कुछ गोलियां दी और कहा कि अब वह बिल्कुल समय पर जाग जाया करेगा। रात को निन्दिया लाल दवा खाकर सो गया। सुबह जब वह जागा तो सचमुच सूरज नहीं निकला था। दवा ने तो कमाल ही कर दिया था। वह खुशी खुशी तैयार हुआ और समय से थोड़ा पहले ही ऑफिस पहुंच गया। सर,उसने बोस से कहा, उस डॉक्टर की दवा तो कमाल की है!वह तो ठीक है,
बोस ने रुखाई से जवाब दिया, पहले यह बताओ कि कल तुम कहां थे ?



टिप्पणियाँ

  1. वो तो दिवानी थी मुझे तन्हां छोड़ गई;
    खुद न रुकी तो अपना साया छोड़ गई;
    दुख न सही गम इस बात का है;
    आंखो से करके वादा होंठो से तोड़ गई।

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  2. ना पूछ मेरे सब्र की इंतहा कहाँ तक है;
    तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक है;
    वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी;
    हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक है।

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  3. मोहब्बत के भी कुछ राज़ होते हैं;
    जागती आँखों में भी ख़्वाब होते हैं;
    जरूरी नहीं कि गम में ही आंसू आयें;
    मुस्कुराती आँखों में भी सैलाब होते हैं।

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