Privatization in India -निजीकरण सही है या गलत ?
निजीकरण के कुछ फायदे है तो कुछ नुकसान -
निजीकरण के फायदे -
- सरकार को धन की प्राप्ति होगी ।
- निजीकरण के लोग बहुत फायदे मानते होंगे परंतु में जनता के शोषण के अलावा और कोई फायदा नही मानता।
निजीकरण के नुकसान-
- सरकारी नोकरियों में कमी आएगी ।
- समाज की भलाई को छोड़कर मुनाफा कमाना मुख्य मकसद होगा ।
- संस्था की विश्वसनीयता में कमी आएगी ।
- भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होगी ।
- ठेकेदारों की कमाई होगी ।
निजीकरण के उदाहरण-
- सड़क ठेकेदार बना रहे है पर घटिया सड़के बना रहे है 6 महीने में टूट जाती है ।
- BSNL को बिकने के बाद प्राइवेट कंपनियों के जो मर्ज़ी ग्राहकों से धन वसूली करेगी और घाटे का रोना रोती रहेगी जैसा आज बिजली कंपनिया कर रही है।
- ठेकेदार और अधिकारी मिलीभगत कर खूब धन कमाएंगे और घटिया काम करने के बाद भी ठेकेदार को कोई कुछ नही कहेगा जैसा आज डेवलोपमेन्ट अथॉरिटीज में खेल चल रहा है ।
- रेलवे के निजीकरण से रेल टिकटों की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिलेगी जैसा कि तेजस ट्रेनों में देखने को मिल रहा है।
- देश की जनता कुछ पूंजीपतियों की गुलाम बनकर रह जायेगी ।
- निजीकरण गुलामी की और बढ़ने की दिशा में प्रथम चरण है ।
- निजी स्कूलों में अच्छी सुविधाएं मिल सकती है पर शिक्षा तो सरकारी विद्यालयों की बेहतर है।
- जो इलाज प्राइवेट अस्पताल में 1000 रुपये में होता है वही इलाज सरकारी अस्पताल में 50 रुपये में हो जाता है ।
आज सरकार सरकारी कंपनियों को भारतीय उद्योगपतियों को बेच रही है, फिर ये भारतीय उद्योगपति विदेशी कंपनियों को बेचकर निकल लेंगे । जैसे भारतीय कंपनी फ्लिपकार्ट बिक गयी, जिसे वालमार्ट नामक विदेशी कंपनी ने खरीद लिया ।
रायपुर दौरे पर पहुंचे केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री आर के सिंह ने सरकारी संस्थानों के निजीकरण को लेकर बड़ा बयान दिया था। आर के सिंह की माने तो वे सरकारी संस्थानों के निजीकरण के पक्ष में नहीं हैं। एक लॉबी पीएसयू कंपनी के निजीकरण के लिए काम कर रही है।
अगर सरकार में हिम्मत है तो निजीकरण के नियम व शर्ते इतने आसान और पारदर्शी बनाये, इतने आसान और पारदर्शी की कोई भी एयरपोर्ट, तेजस ट्रैन, कोई सरकारी केंटीन.....आदि आदि किराये/ठेकेदारी पर ले सकने का पात्र हो । पर सरकार नियम व शर्ते इस तरह से डिज़ाइन करेगी ताकि उनके दोस्त उद्योगपतियों को पिछले दरवाजे से फायदा पहुँचाया जा सके ।
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