शायरी
"नशा, मोहब्बत का हो या 'शराब' का
होश दोनों में खो जाता है
फरक सिर्फ इतना है की
शराब सुला देती है
और
मोहब्बत रुला देती है
2.
प्यार की आंच से तो पत्थर भी पिघल जाता है,
सचे दिल से साथ दे तो नसीब भी बदल जाता है,
प्यार की राहों पर मिल जाये साचा हमसफ़र,
तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी संभल जाता है।
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होश दोनों में खो जाता है
फरक सिर्फ इतना है की
शराब सुला देती है
और
मोहब्बत रुला देती है
2.
प्यार की आंच से तो पत्थर भी पिघल जाता है,
सचे दिल से साथ दे तो नसीब भी बदल जाता है,
प्यार की राहों पर मिल जाये साचा हमसफ़र,
तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी संभल जाता है।
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