जखमी शायरी

रह सकू सिर्फ तेरे संग वो जहान नहीं मिलता,
जला सकूँ खुद को वो शमशान नहीं मिलता;
इश्क में तेरे डूब जाने को दिल करता तो है,
पर टूट सकूँ जिसमे वो चट्टान नहीं मिलता |





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