भारतीय सेना - एक मजबूरी जो कड़वा सच है.…तू भी मजबूर --- में भी मजबूर

भारतीय सेना - एक मजबूरी जो कड़वा सच है.…तू भी मजबूर --- में भी मजबूर



भारतीय वायु सेना, नौ सेना, थल सेना,...... को उनके अनुरूप अधिकारी नहीं मिल रहे है ऐसा मेने एक अख़बार में पढ़ा.… ये बात सरासर गलत लगी क्योकि मुझे तो ऐसा लगता है की भारतीय सेना को केवल अच्छे अंक वाले अंग्रेज अधिकारी चाहिए,…।


  • क्या योग्यता अंको से नापी जा सकती है, अधिक्तर भर्तियों में 60%, या अन्य अंक जरूरी है ?
  • क्या ज्यादा अंक वाला ही ज्यादा ज्ञान वाला होता है ?
  • क्या हिन्दुस्थान में अंग्रेजी हिंदी से ज्यादा महत्त्व रखती है क्योकि हिंदी व्याकरण से कोई प्रशन नहीं आता ?
मुझे लगता है की भारतीय सेना के पास योग्यता नापने का सही पैमाना नहीं है,क्योकि.... 

आज देश को चलाने वाले IAS,IPS,....etc.... उसके लिए योग्यता केवल स्नातक (ग्रेजुएट) उत्तीर्ण है चाहे वो न्यूनतम अंक ही क्यों न हो । मुझे योग्यता मापने में UPSC का ये पैमाना उपयुक्त लगता है ।


 अब बात करते है है अंग्रेजी में निपुणता की, सेना के अनुरूप ज्यादा नौजवान युवक गांवो में निवास करते है जो वहा की सामान्य भाषा में बात करते है वो हिंदी ढंग से नहीं बोल पाते । अंग्रेजी तो हिन्दुस्थान में सिर्फ दिखावा करने वाले या अपने आप को ऊँचा समझने वाले ही बोलते है । जो पंजाबी,राजस्थानी, गुजरती,मराठी,बिहारी,बंगाली,.... भाषा भाषी वाले नौजवान हिंदी ढंग से नहीं बोल पाते क्योकि घर में, दोस्तों में, विद्यालय में, समाज में, सब वहा की क्षेत्रीय भाषा बोलते है उनको अंग्रेजी तो अंग्रेजी पढ़ाने वाले के अलावा दूर दूर तक किसी और से सुनाई ही नहीं देती, इसमें उनका क्या कसूर ?


सेना से निवेदन है की योग्यता अंको से नहीं, केवल खुली प्रतियोगीता से हो, अंग्रेजी अपना महत्त्व रखती है पर योग्यता मापने के पैमाने में अंग्रेजी को हटाकर क्षेत्रीय और हिंदी भाषा चुनने का विकल्प लाया जाए ।

आज भारत में दक्षिण भारत के लोग ज्यादा अंग्रेजी बोलते है, अंग्रेजी खाते है, अंग्रेजी पीते है, मज़ाक भी अंग्रेजी में करते है और सेना का योग्यता परिक्षण का पैमाना भी अंग्रेजी वालो का मित्र है । इसलिए वहा के लोग ज्यादा अधिकारी मिलिंगे । 


आज भारत में दक्षिण भारत के लोगो को छोड़ कर ज्यादातर लोग हिंदी या क्षेत्रीय भाषा बोलते है, हिंदी या क्षेत्रीय भाषा खाते है, हिंदी या क्षेत्रीय भाषा पीते है, मज़ाक भी हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में करते है और सेना का योग्यता परिक्षण का पैमाना भी अंग्रेजी वालो का मित्र है । इसलिए वहा के लोग कम अधिकारी मिलिंगे ।

  

अब सेना को जवान तो चाहिय हिंदी बोलने वाले जो उत्तर भारत में पंजाब, राजस्थान,हरयाणा, उत्तरप्रदेश से तगड़े हट्टे-कट्टे जवान मिल जाते है, पर अधिकारी चाहिए अंग्रेजी बोलने वाले वो इधर कम है पर हिंदी बोलने वालो की वजह से कोई काम तो अधूरा नहीं रहेगा।।।। 

सेना की मजबूरी ये है की उसे उसके अनुरूप योग्य नौजवान नहीं मिल रहे है, और योग्य जवान बोलते है अंग्रेजी नहीं आती है इसलिए कोई दूसरा काम कर लेते है । 

पर हिंदी बोलने वालो की एक खासियत है की सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन जरूर करते है, चाहे सेना को अंग्रेजी वालो की तलाश ही क्यों न हो। ....?

कृपया भारतीय सेना में भर्ती होने की कोसिस करे.… में भी लगातार कर रहा हु, बात अंग्रेजी,हिंदी,अंको की नहीं।।। बात देश की शान की है,,,,दुवा करो मेरे लिए की अबकी बार भारतीय सेना का में एक और शुद्ध हिंदुस्थान प्रेमी।।।सेना में अधिकारी तो बनना ही है, इसलिए  अंग्रेजी पड़ने जाना ही है, बाद में मिलते ही है 


सही है या गलत आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे…… देश के लिए। …। 


जय हिन्द।।।।।


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