मेरा रंगीला राजस्थान
गाँव की लोग जो शहरीकरण की हवा में बहकर,शुद्ध हिंदी नही बोल पाते, पर शहर में बसकर जबरदस्ती हिंदी भाषा कुछ इस तरह से बोलते हैं:
1 मेरे पास चाय मत डालना मेरे पास चाय बादू है।
2 कल हमारी बस नीकल गई थी तो हम लोग भूंडीए में बैठकर आए।
3 चलो हरे हरे दूबड़े पर बैठते हैं ।
4 ये कैसी कपडबांस आ रही है
5 पहले गोल गप्पों के पानी को अच्छे से ग्च्चोल लेना।
6 कितनी सुणी सुणी तुम्ब्डीया लटक री हैं।
7 सभी छीददे छीददे होकर खडे हो जाओ।
8 बेटे मेरे पीछे हुबाणे पगा क्यूँ आ गये।
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1 मेरे पास चाय मत डालना मेरे पास चाय बादू है।
2 कल हमारी बस नीकल गई थी तो हम लोग भूंडीए में बैठकर आए।
3 चलो हरे हरे दूबड़े पर बैठते हैं ।
4 ये कैसी कपडबांस आ रही है
5 पहले गोल गप्पों के पानी को अच्छे से ग्च्चोल लेना।
6 कितनी सुणी सुणी तुम्ब्डीया लटक री हैं।
7 सभी छीददे छीददे होकर खडे हो जाओ।
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