माँ भारती पुकारती, कहाँ पे मेरे लाल हो ???

रक्त में उबाल हो, क्रोध की मशाल हो !
धड़कने भड़क रही, जैसे कि भूचाल हो !
माँ भारती पुकारती, कहाँ पे मेरे लाल हो !
यदि मेरा ख्याल हो, न द्वंद न सवाल हो !
रक्त से करो श्रृंगार, आँचल ये मेरा लाल हो !
विजयी तुम्हारा भाल, और शत्रु का कपाल हो !
असुरजनों का अंत हो, हों तो मात्र संत हो !
धर्म हो सुपंथ हो, सृजन हो न कि अंत हो !
उठो उठो बढ़ो बढ़ो, बढ़ो बढ़ो बढे चलो !
लगा लो मृत्यु कंठ से, लौह में ढले चलो !
विजय की भोर हो सदा, ना हार की निशीथ हो !
ह्रदय में एक भाव हो कि, धर्म की ही जीत हो ......


╰☆╮|| वंदे मातरम || || जय हिंद || ╰☆╮






अन्य महत्वपूर्ण बातें :-

  • अगर आपको ये वेबसाइट अच्छी, दमदार, मस्त लगे तो इसे Bookmark करे ।
  • ये लेख "http://dailylife360.com/" द्वारा रजिस्टर्ड है ।
  • कमेंट बॉक्स में अपने दिल की बात जरूर लिखे ।
  • यह साइट देखने के लिए धन्यवाद् , आपका यहाँ फिर इंतज़ार रहेगा ।
  • चेतावनी :- इस वेबसाइट से बिना अनुमती के इसकी सामग्री अन्य वेबसाइट/ब्लॊग में नहीं लगाए, वरना चोर वेबसाइट को डिलीट/हैक/क़ानूनी शिकायत कर दी जाएगी या जुर्माना लगाया जायेगा ।

    टिप्पणियाँ