रफ़्तार जिन्दगी की...

रफ़्तार कुछ इस कदर तेज है जिन्दगी की..

की सुबह का दर्द शाम को, पुराना हो जाता है..
घर के सामने वाले पेड़ पर एक "गिरगिट" ने आत्महत्या कर ली है।
सुसाइड नोट में लिखा है......
"मैं आजकल इन्सनॊ का मुक़ाबला नहीं कर पा रहा हूँ, .......
रंग बदलने में"
सूरज नहीं डूबा ज़रा सी शाम अभी होने दो"
मैं खुद लौट जाउंगा मुझे नाकाम होने दो"

मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो क्यों"
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो..




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