प्यार करता हुआ, मैं हद से गुज़र जाता हूँ | ... प्यार की राहों पर मिल जाये साचा हमसफ़र,

मैं ग़ज़ल कहता हूँ और गीत गुन-गुनाता हूँ ,
दिल की करता हुआ,दिल ही में उतर जाता हूँ,
प्यार बेहद है मुझे, और है गुनाह यही,
प्यार करता हुआ, मैं हद से गुज़र जाता हूँ |



अधिकार मिलते नहीं लिए जाते हैं,
आजाद हैं मगर गुलामी किये जाते हैं,
वंदन करो उन सेनानियों को
जो मौत को आँचल में जिए जाते हैं ।


प्यार की आंच से तो पत्थर भी पिघल जाता है,
सचे दिल से साथ दे तो नसीब भी बदल जाता है,
प्यार की राहों पर मिल जाये साचा हमसफ़र,
तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी संभल जाता है।

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