किसान ये बात जान ले और ठान ले...सरकार या व्यापारी आपकी खेती और मेहनत का अंदाज से रुपये लगाने वाले कोन होते है आप खुद रुपये तय करे और उसी भाव में बेचे..

किसान ये बात जान ले और ठान ले...


आज हर नौकरी वाला आदमी जितना काम मेहनत या मजदूरी करता है उसके बदले में उसे खुछ न खुछ पक्का मिलता है चाहे वो धन हो या अनाज या खुछ और, पर एक किसान होता है जो इतनी कठिन मेहनत करता है और उसकी मेहनत का मजा लोग ही लेते है चाहे वो बनिया हो या व्यापारी या हो सरकार | किसान की खेती में ये जरूरी नहीं है की उसको लाभ ही हो, उसे कई बार बहूत बड़ा घटा भी लगता है |

मेरे खुछ सवाल है इस दुनिया से कृपा करके उनका जबाब दे , सवाल निचे लिखे है ?

प्र.१. किसान की संतान इंजिनियर, डॉक्टर, अन्य महंगी पढाई करने के इच्छुक है पर क्या वे आर्थिक सक्षम है?

प्र.२. किसान और उसका परिवार अन्य लोगो की तरह ब्रांडेड कपडे पहनने के इच्छुक है पर क्यों नहीं पहनता ? और क्यों लोग उसे पहनावे के मामले में गवार, गाववाला कहकर बेइज्जती करते है ? क्या वो ब्रांडेड कपडे पहने के बाद भद्रपुरुस(gentlemen) या महिला(Lady) से कम लगता/लगती है ?

प्र.३. क्या हर किसान मुखिया अपने परिवार के लिए सुख सुविधाए(ए,सी,फ्रीज़,कपडे धोने वाली मशीन, व अन्य ) लेना नहीं चाहता ?

प्र.४. जब मेहनत पूरी काम पूरा और सही फिर भी परिणाम जीरो क्यों ?

प्र.५ यही हाल रहा तो खेती कोन करेगा सरकार या व्यापारी ?

प्र.६. किसान ही आत्महत्या क्यों करता है ? नेता या नोकरी वाला क्यों नहीं ?

प्रशन तो मेरे पास बहूत है पर उत्तर सबका एक ही है उत्तर ये है की किसान गणित का इस्तेमाल नहीं करता और सरकार सहायेता नहीं करती है |

में हर किसान और आने वाली नयी पीडी को एक बात बताने जा रहा हु उसे थोडा सोचे और समजे और इस पर बात भी करे.

आज बाज़ार में एक आराम मोबाइल बेचने वाला हर मोबाइल पर खुछ ना खुछ जरूर कमाता है क्योकि उसे पता है की में इसे इतने रुपयों में लाया और इतना किराया लगा और मुझे इतना तो कमाना ही है | उदाहरण के तोर पर एक दुकानदार 1500 का मोबाइल लाता है और लाने में 20 रुपये का किराया लग जाता है 10 रुपये की कचोरी खा लेता है अब दुकानदार ने सोचा की २० रुपये की तो कम से कम बचत होनी ही चाहिए, तो दुकानदार आपको मोबाइल 1550 से कम में किसी हाल में नहीं देगा चाहो तो आपलो या ना लो...
बात शायद कुछ समज में जरूर आई होगी...


किसान ना तो ये सोचता है की कितना उसे लाभ बचाना है और ना उसे ये पता रहता की उसने कितना लगा दिया ?
अरे भाई ये ही पता नहीं रहेगा तो लाभ कैसे मिलेगा ? और आप सही भाव कैसे निकालोगे ?
जब व्यापारी आप को ये बोल सकता है की ''लेना है तो लो वरना जावो'' तो क्या आप नहीं बोल सकते ? जरूर बोलो..
सरकार या व्यापारी आपकी खेती और मेहनत का अंदाज से रुपये लगाने वाले कोन होते है आप खुद रुपये तय करे और उसी भाव में बेचे...


आपका खेता काका
जाग रे भोला किसान जाग...
या दुनिया भोला की नहीं..


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    टिप्पणियाँ

    1. hame to apno ne luta gairo me bhi dam tha vo to lut le gaye aur baki bacha hua apne hi lut rahe hai....

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    2. ''' sarkar to ye kah de ki kisano ki koi ahmiyat nahi to kisan kheti karna band kar de fir 1 din aisa aa jaega tab aadmi -aadmi ko kha jaega.. desh me''HARIT KRANTI'' ki jarurat hai.. VIVEK CHOURASIYA

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