जैसी करनी वैसी भरनी ( मतलब : अच्छे काम का फल अच्छा और बुरे काम का फल बुरा )
एक दिन अचानक राजा ने स्वम घोषणा की वो किसी को दुःख नहीं पहुचायेगा और ना ही किसी पर अत्याचार करेगा | ये फेसला सुनकर जनता हेरान थी और ज्यादा सतर्क हो गए की राजा कोई नहीं चाल तो नहीं चल रहा है ?
पर राजा अब एक सच्चे राजा राजा की तरह अपने नियमो का पालन करता और अपनी जनता की सहायता भी करता | अब जनता भी धीरे धीरे राजा से प्रसन्न होने लगी और जनता विस्वास भी करने लगी | पर सब के मन में एक प्रशन था की ये सब कैसे बदला ?
काफी दिन बाद मंत्री ने हिम्मत कर राजा से ये सवाल पूछ ही लिया | तो राजा ने मुस्कुराते हुए जबाब दिया की में एक बार जंगल में शिकार पर गया था | तो एक कुत्ता एक मासूम से हिरन के बच्चे को मारने के लिए पीछे दोड़ लगा रहा था, हिरन का बच्चा तो जान बचा कर भाग तो गया पर कुत्ते ने उसे जख्मी कर दिया |
जब में पास वाले गाँव में आया तो उसी कुत्ते को वहा देखा, वो एक आदमी के पीछे भोक रहा था | उस आदमी ने उस कुत्ते को एक भारी से पत्थर से मारा तो कुत्ते की टांग टूट गयी |
फिर थोड़ी देर बाद वो आदमी कही जाने के लिए एक तांगे के पास खड़ा था, अचानक घोड़े ने उस आदमी के लात मारकर उसके पैर का घुठना तोड़ दिया |
फिर घोडा लात मार के भाग रहा था, तो अचानक वो एक गहरे गड्डे में गिर गया और घोड़े की आगे की दोनों टाँगे टूट गयी |
तो मैंने सोचा की हर बुरे काम की सजा तो मिलनी है पर बेहतर होगा की में खुछ अच्छे काम करना शरु करू तो शायद बदले में खुछ अच्छा मिल जाये |
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