चोर की चतुराई ...
पहले चोर को फांसी दे कर मार दिया गया |
दूसरा चोर को पकड़ कर फांसी के लिए आगे ले जाने लगे, तभी चोर बोला मेरे पास एक बहुत महत्वपूर्ण ज्ञान है | सिपाही उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे और ले जा रहे थे....
चोर बोला में मर गया, तो मेरा ज्ञान भी मार जायेगा, और जब राजा को मेरे ज्ञान के बारे में पता चलेगा तो ,वो तुम्हे भी जिन्दा नहीं छोड़ेंगे ...
तभी सिपाहियों ने चोर को राजा के समक्ष दुबारा पेश किया |
चोर:- मुझे सोने की खेती करनी आती है | जो सरसों के पेड़ की तरह उसका पेड़ होता है और अमरूद की तरह सोना 1 महीने लगेगा...
राजा बोला :-क्या ये सत्ये है ?
चोर:- में खहू जैसे करो तो जरूर होगा ..और सच न हो तो मुझे 1 महीने बाद मार दिया जावे .
राजा:-चलो ठीक है पर क्या करना होगा ?
चोर :- पहले सोने को गला कर सरसों जितने मोटे बीज तैयार किया जाये | फिर उसके लिए मदन साफ़ करवाया जाये |
अब सारा काम कहे अनुसार तैयार हो गया |
चोर:-अब ऐसे आदमी को बीज बोने के लिए बुलावो जो इमानदार हो |
राजा :- ऐसा आदमी कहा मिलेगा ?
चोर:- आप ही बिजाई कर दो !
राजा:-पर मैंने तो बचपन में भाई का खिलौना चुराया था !!
चोर :-मंत्रीजी आप बिजाई कर दो !
मंत्रीजी :-में तो राजाजी का सेवक हु बिना चोरी के कैसे रह सकता हु |
चोर:- तो धर्माधिकारिजी बाये !
धर्माधिकारिजी :-मेने बाल्यकाल में लड्डू चुराकर खाए थे |
चोर:-हे महाराज ! तो सजा के लिए क्या में अकेला ही योग्य हु ?
राजा को चोर की चल समाज में आ गयी | और चोर की चतुराई देख कर सब लौग हंस पड़े | और चोर की चतुराई देख कर राजा ने उसे अपना दरबारी बना लिया ...
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अन्य महत्वपूर्ण बातें :-
कहानी अच्छी लगी धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकमेन्ट के लिए धन्यवाद् ,,
जवाब देंहटाएंkahani bohot ashi lagi
जवाब देंहटाएंnice story