मनमौजी हूँ...

कवि हूँ ,

मनमौजी हूँ ,

मुसाफिर हूँ अनजान खलाओं का ,

आँखों में मेरे है सपनो का मेला ,

शामिल हूँ भीड़ में,

हूँ फिर भी अकेला , 

चल सको तो चलो मेरे साथ, 

दो कदम तुम भी , 

सोख लेंगे कुछ दर्द, 

बाँट लेंगे,

कुछ खुशियाँ हम भी ।

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