न ये केमिस्ट्री ..... लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप न ये केमिस्ट्री होती,न मैं छात्र होता,न ये लैब होती,न ये एक्सीडेंट होता,अभी लड़की व्यावहारिक में आई नज़र एक,सुन्दर थी नाक उसकी टेस्ट ट्यूब जैसी,बातों में उसके ग्लुकोस की मिठास थी,सांसों में एस्टर की खुशबु भी साथ थी,आँखों से झलकता था कुछ इस तरह का प्यार,बिन पिए ही हो जाता था अल्कोहल का खुमार,बेंजीन से होता था उसकी उपस्थिति का एहसास,अँधेरे में होता था रेडियम का आभास,नज़रें मिली रिएक्शन हुआ,कुछ इस तरह उत्पादन हुआ का प्यार,लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे,नाभिक के चारों तरफ हो जैसे इलेक्ट्रॉन,उस दिन हमारे टेस्ट का पुष्टिकरण हुआ,जब उसके पिताजी से हमारा परिचय हुआ,सुन कर हमारी बात वो ऐसे उछल पड़े,इग्निशन ट्यूब में जैसे सोडियम भड़क उठे,वो बोले होश में आओ,पहचानो अपनी औकात,आयरन मिल नहीं सकता गोल्ड के साथ,ये सुन कर टूटा हमारा अरमानों भरा बीकर,और हम चुप रहे Benzaldehyde का कड़वा घूँट पीकर... लिंक पाएं Facebook X Pinterest ईमेल दूसरे ऐप टिप्पणियाँ
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