माना दोस्ती का रिश्ता खून का नही होता...

माना दोस्ती का रिश्ता खून का नही होता
लेकिन खून के रिश्ते से कम भी नही होता

दोस्ती मे एक बात मुझे समझ नही आती है
दोस्त मे लाख बुराई हो उसमे अच्छाई ही क्यों नजर आती है

दोस्त बिठाता है आपको सर आँखों पर
आपकी सारी परेशानी लेता है अपने उपर

आप की गलती सारी दुनिया से छुपाता है
खुद के अच्छे कामों का श्रेय भी आप ही को देता है

दोस्त होता है ऐसे
दियों के लिए बाती जैसे
अन्धो के लिए लाठी जैसे
प्यासे के लिए पानी जैसे
बच्चे के लिए नानी जैसे
लेखक के लिए कलम जैसे
बीमार के लिए मरहम जैसे


कुम्हार के लिए माटी जैसे
किसान के लिए खेती जैसे
भक्त के लिए वरदान जैसे
मरने वाले के लिए जीवनदान जैसे

अन्त मे आप से एक ही बात है कहना
दोस्त को बुरा लगे ऐसा कोई काम ना करना
खुद भी खुश रहना और दोस्तो को भी रखना
चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो दोस्त का साथ ना छोडना

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